Friday, April 17, 2009

निषाद

हर दिशा में खोंजे हो, खोजते ही थक गए
जो चाहा न मिल सका , तड़पते ही रह गए
मौत एक सांप है उसको तुने पहन लिया

वक्त को तो कटने दो, आसमान को जलने दो
अँधेरी रात डूब जाए, पूरब की कलि खिलते जाए
राह तेरा पकड़लो, आगे बढ़ते तुम चलो

निडर तू न हारेगा, मशाल हो तुम राह का
कभी न हार मानो तुम, निषाद हो तुम नाव का
तूफ़ान से लडोगे तुम,तूफ़ान से लडोगे तुम

-आशीष

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